À¤¸À¤¤À¥À¤¯À¤ªÀ¥À¤°À¥‡À¤® À¤•À¥€ À¤•À¤¥À¤¾ À¤¸À¤®À¥€À¤•À¥À¤·À¤¾ (SATYAPREM KI KATHA REVIEW IN HINDI )

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Satyaprem Ki Katha Review in Hindi

 

औसत रेटिंग: 2.9/5
अंक:100% Positive
समीक्षाएँ गिने गए:5
सकारात्मक: 3
तटस्थ:2
नकारात्मक:0

 

रेटिंग 2.5/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤¨à¥‡à¤¹à¤¾ वर्मा à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: आज तक

सत्यप्रेम की कथा फिल्म की कहानी में कंसिस्टेंसी à¤•à¥€ दिक्कत है. फिल्म के फर्स्ट हाफ में किरदारों का मिजाज कुछ होता है और सेकंड हाफ तक वो एकदम पलट जाते ह.. फिल्म में बहुत सी चीजों की शुरुआत दिखाई गई है लेकिन फिर उसका कोई आउटकम नहीं निकलता.

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रेटिंग 3/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤°à¥‡à¤–ा खान à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: नवभारत टाइम्स

डायरेक्टर समीर विद्वांस ने बेहतरीन कहानी पर शानदार फिल्म बनाई है, लेकिन फिल्म की कहानी कहीं-कहीं धीमी पड़ जाती है अगर आप नए जमाने की खूबसूरत और इमोशनल लव स्टोरी देखना चाहते हैं, तो इस वीकेंड फिल्म सत्यप्रेम की कथा का टिकट खरीद सकते हैं।

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रेटिंग 3.5/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤…मित भाटिया à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: एबीपी न्यूज़

अगर एक लड़की ना कह दे तो उसका मतलब होता है ना. ये फिल्म इस मैसेज के अच्छे तरीके से देती है और यही इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है..ये फिल्म बताती है कि रेप किसी लड़की के छोटे कपड़े पहनने से नहीं होता बल्कि किसी की घटिया सोच से होता है.ये एक हल्की फुल्की रोमांटिक फिल्म है जो एक बड़ा मैसेज दे जाती है. ट्रेलर देखकर लगा नहीं था कि फिल्म में ये मैसेज होगा लेकिन फिल्म आपको हैरान करती है.

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रेटिंग 3/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤ªà¤‚कज शुक्ल à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: अमर उजाला

फिल्म सत्यप्रेम की कथा विचार के स्तर पर ही एक दमदार फिल्म है। हालांकि, ध्यान से देखें तो ये फिल्म इसी तरह की कहानियों पर बनी शाहरुख खान, सलमान खान, अभिषेक बच्चन और ऋतिक रोशन की दर्जन भर फिल्मों के कॉकटेल जैसी ही है।

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रेटिंग 2.5/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤¦à¥€à¤ªà¤¿à¤•à¤¾ शर्मा à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: न्यूज़ 18

सत्€à¤¯à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤® की कथा एक रोमांट€à¤¿à¤• फिल्€à¤® है, जो महज रोमांस की नहीं बल्€à¤•à¤¿ उससे आगे की बात करती है. बस इस कहानी को सामने रखते हुए इमोशंन्€à¤¸ का ज्€à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ और मनोरंजन का कम इस्€à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² है. कुछ जगह पर€ फिल्€à¤® भारी हो जाती है. लेकिन सेकंड हाफ में कई ह€à¤¿à¤¸à¥€à¤¸à¥‡ ऐसे हैं जो आपको एहसास द€à¤¿à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ हैं कि ज€à¤¿à¤¸à¥‡ अभी तक हम परफेक्€à¤Ÿ समझ रहे थे, वो भी खुद को क€à¤¿à¤¸à¥€ पर थोपना ही है. इस फिल्€à¤® में कई कम€à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ हो सकती हैं, पर ये कहानी एक जरूरी कहानी है जो अपने इमोशन्€à¤¸ और मैसेज से आपको सोचने पर शायद अपने नजर€à¤¿à¤ को बदलने पर मजबूर कर देगी.

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