À¤†À¤¦À¤¿À¤ªÀ¥À¤°À¥À¤· À¤¸À¤®À¥€À¤•À¥À¤·À¤¾ (ADIPURUSH REVIEW IN HINDI )

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औसत रेटिंग: 2.1/5
अंक:25% Positive
समीक्षाएँ गिने गए:5
सकारात्मक: 1
तटस्थ:0
नकारात्मक:4

 

रेटिंग 3/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤¨à¥‡à¤¹à¤¾ वर्मा à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: आज तक

भगवान राम की कहानी को मॉर्डन रूप में कैसे परोसा जा सकता है, उसके लिए इस फिल्म को एक मौका तो जरूर मिलना चाहिए. आदिपुरुष फिल्म को देखने का सबसे बड़ा कारण इसकी ग्रैंडनेस और वीएफएक्स है. फिल्म स्टूडेंट इससे सीख ले सकते हैं. वहीं इमोशनल एंगल से अगर फिल्म देखने का प्लान बना रहे हैं, तो निराशा हाथ लगेगी. हां, एक बात इस फिल्म का मजा केवल सेल्यूलॉइड स्क्रीन पर ही लिया जा सकता है. कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन पर फिल्म का प्रभाव औसत ही रहेगा.

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रेटिंग 2/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤°à¥‡à¤–ा खान à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: नवभारत टाइम्स

निर्देशक ओम राउत ने इसे मॉडर्न लुक देने के लिए रावण की लंका को ग्रेइश कैसल लुक दिया है, जो रावण की सोने की चमचमाती लंका के विपरीत ‘हैरी पॉटर’ या ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ के किले की तरह दिखते हैं। फ€à¤¿à¤²à¥à¤® का तीन घंटे का रन टाइम तब और खलने लगता है, जब सेकंड हाफ में कहानी सिर्फ VFX से सजे राम-रावण के युद्ध में सिमटकर रह जाती है। हालांकि इंटरवल से पहले कहानी विजुअल इफेक्ट्स के साथ अच्छी लगती है। डायरेक्€à¤Ÿà¤° ने अहिल्या, मेघनाद वध जैसे रामायण के कई प्रसंगों को छोड़ दिया है। बाली और सुग्रीव को वानरों का विशुद्ध रूप दिया है, तो रावण के लुक, कॉस्ट्यूम और उसके शस्त्रों को कुछ ज्यादा ही मॉडर्नाइज कर दिया गया है। रावण को एक पिशाच जैसे जीव की सवारी करते दिखाया गया है, उसके अस्त्र-शस्त्र ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ की याद दिलाते हैं।

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रेटिंग 1.5/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤…मित भाटिया à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: एबीपी न्यूज़

शुरुआत में फिल्म कुछ खास नहीं लगती. आप फिल्म से जुड़ते नहीं हैं लेकिन हनुमान जी की एंट्री के साथ फिल्म थोड़ी सी कनेक्ट करती है लेकिन इतनी नहीं जितनी आप रामायण सीरियल से कनेक्ट कर पाए थे. कोई भी किरदार आपसे उस तरह से नहीं जुड़ पाता जैसी आप उम्मीद करते हैं और खराब वीएफएक्स फिल्म का मजा और खराब कर देते हैं. अगर इतने करोड़ खर्च करके ऐसे ग्राफिक्स बने हैं तो हैरानी होती है कि रामानंद सागर ने उस दौर में कैसे इतने कमाल के ग्राफिक्स बना डाले थे. कुछ डायलॉग जिस तरह से बोले गए हैं वो आपको हैरान कर देते हैं. फिल्म में आस्था वाला एंगल ही गायब कर दिया गया है. युद्ध के सीन ऐसे लग रहे हैं जैसे zombies लड़ रहे हों. यहां शायद हॉलीवुड टच देने की कोशिश की गई है लेकिन बॉलीवुड टच ही गायब हो गया है. आपको पूरी फिल्म में बस श्रीराम का नाम सुनना अच्छा लगता है और कुछ नहीं.

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रेटिंग 2/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤ªà¤‚कज शुक्ल à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: अमर उजाला

प्रभास, कृति सैनन और सनी सिंह स्टारर फिल्म आदिपुरुष की तुलना इसके पहले हिंदी में रिलीज हो चुकी राम कथाओं, खासकर रामानंद सागर के धारावाहिक रामायण से जरूर होगी और जब जब ये तुलना होगी, सबसे पहली खामी जो इस फिल्म की लोगों को दिखेगी, वह है फिल्म में जानकी बनीं कृति सैनन। उनके चेहरे पर जो भी कृत्रिम प्रयोग हो चुके हैं, उन्होंने उनके चेहरे की सौम्यता हर ली है। होंठ और नाक उनके तीखे बनाए गए हैं। और, मिथिला की राजकुमारी के जिस सौंदर्य को देख राम पुष्प वाटिका में मोहित हुए, उसकी छटा तक कृति सैनन की सुंदरता में नजर नहीं आती। यही हाल प्रभास का है। हिंदी में शरद केलकर की आवाज पर रिवर्ब लगाकर वह राम जैसा आभास तो गए, पर उनके शरीर सौष्ठव में न राम जैसा ओज है, न राम जैसा तेज और न ही राम जैसा प्रताप। वह पूरी फिल्म में बाहुबली की तीसरा संस्करण ही ज्यादा नजर आए।

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रेटिंग 2/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤¨à¤°à¥‡à¤‚द्र सैनी à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: एनडीटीवी भारत

आदिपुरुष की कहानी रामायण पर आधारित है. जिसे हम बचपन से सुनते और रामलीला के मंचों पर देखते आए हैं. ऐसे में फिल्म में क्या नया हो सकता था. इसका जवाब ओम राउत ने वीएफएक्स और मॉर्डन वेशभूषा के जरिये दिया. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक कमाल है, लेकिन वीएफएक्स कमजोर है. फिल्म को देखकर कॉमिक्स पढ़ने जैसा एहसास होता है. फिल्म की अच्छी एडिटिंग की जरूरत थी और सेकंड हाफ मजबूत रखना चाहिए था. लेकिन इस फिल्म को सैफ अली खान के लिए याद रखा जाएगा.

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