À¤°À¥‰À¤•À¥€ À¤”À¤° À¤°À¤¾À¤¨À¥€ À¤•À¥€ À¤ªÀ¥À¤°À¥‡À¤® À¤•À¤¹À¤¾À¤¨À¥€ À¤¸À¤®À¥€À¤•À¥À¤·À¤¾ (ROCKY AUR RANI KI PREM KAHANI REVIEW IN HINDI )

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औसत रेटिंग: 3.1/5
अंक:100% Positive
समीक्षाएँ गिने गए:5
सकारात्मक: 3
तटस्थ:2
नकारात्मक:0

 

रेटिंग 4/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤¨à¥‡à¤¹à¤¾ वर्मा à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: आज तक

एक à¤²à¤‚बे समय के बाद वो बतौर निर्देशक लेकर आए à¤¹à¥ˆà¤‚ रॉकी और रानी की प्रेम कहानी. जिसमें उन्होंने अपने ट्रेडमार्क पंजाबी अन्दाज à¤µà¤¾à¤²à¥€ फिल्म à¤®à¥‡à¤‚ बंगाली तड़काडालते हुए एक पारिवारिक लव स्टोरी बनाई है. बस नया ये है कि à¤«à¤¿à¤²à¥à¤® में मनोरंजन के वो सारे रस डाले गये हैं जो आजकल के युवाओं को वेब सीरीज और हॉलीवुड की फिल्म से मिलते हैं. मूवी मनोरंजन का अपना वादा पूरा करती है. मूवी à¤•à¤¹à¥€à¤‚ हंसाती है कहीं रुलाती है और साथ साथ संदेश भी देकर जाती है. à¤«à¤¿à¤²à¥à¤® की लंबाई थोड़ी à¤œà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤¹à¥ˆ जो थोड़ा गति को धीमा करती है. लेकिन कुल मिलाकर à¤°à¤£à¤µà¥€à¤° सिंह और आलिया भट्ट की केमिस्ट्री का कमाल फिल्म की डोर को बांधे रखता है.

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रेटिंग 3.5/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤°à¥‡à¤–ा खान à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: नवभारत टाइम्स

कहानी में रोमांस, सास-बहू ड्रामा, भव्य सेट, चुटीले और मजेदार संवाद, किरदारों के कमाल-कमाल के कॉस्टयूम, साज-सज्जा सभी कुछ है, मगर इस बार करण ने जो नई चीज की है, वो है किरदारों और सिचुएशंस के जरिए मसलों को उठाना। अब जैसे घर पर भले धनलक्ष्मी जैसी महिला ही सर्वेसर्वा हैं, मगर कहीं न कहीं वो भी पुरुष प्रधान सोच की मारी है। कैंसल कल्चर और जजमेंट पास करने जैसी धारणाओं पर भी उनके किरदार बात करते हैं। फिल्म कल्चरल डिफरेंस के कारण एक-दूसरे को हीन समझने के रवैये को इंगित करती है।

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रेटिंग 3/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤…मित भाटिया à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: एबीपी न्यूज़

करण जौहर का डायरेक्शन एवरेज है. स्क्रीनप्ले पर और मेहनत की जानी चाहिए थी. फिल्म को और छोटा किया जाना चाहिए था. कई जगह कुछ सीन बेवकूफी भरे लगते हैं. उन्हें हटाया जा सकता था. कई बार लगता है कहानी कहां जा रही है. सेकेंड हाफ को अगर थोड़ा और बड़ा किया जाता तो इमोशनल सीन्स और मैसेज देने वाले सीन्स को और बड़ा करके फर्स्ट हाफ को छोटा किया जाता तो फिल्म शानदार बन सकती थी. कुल मिलाकर ये एक ठीक ठाक वन टाइम वॉच फिल्म है. इसे कऱण जौहर अपनी शानदार फिल्मों की लिस्ट में खुद भी नहीं रखना चाहेंगे लेकिन फिर भी ये फिल्म देखी जा सकती है.

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रेटिंग 2.5/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤ªà¤‚कज शुक्ल à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: अमर उजाला

फिल्म रॉकी और रानी की प्रेम कहानी देखना अपने ही धैर्य का इम्तिहान लेने जैसा है। रंधावा और चटर्जी परिवारों के बीच पारिवारिक संस्कारों, लोक व्यवहारों और विचारों का ये सीधा मुकाबला है। रॉकी कुपढ़ है। और, रानी जमाने को आइना दिखाने की कोशिश करती बाला। दोनों का अपना अपना पेशा है। पेशे के हिसाब से दोनों के किरदार लिखे गए हैं। बस लेखक ये समझाना भूल जाते हैं कि रॉकी के परिवार के पास जब इतना पैसा है तो फिर उन्होंने अपने बेटे को कायदे से पढ़ाया लिखाया क्यों नहीं। इशिता मोइत्रा, शशांक खेतान और सुमित रॉय ने भर भरकर उपदेश कहानी में ठूंसे हैं। महिला सशक्तिकरण से लेकर लिंगभेद, सामाजिक विभेद और वर्णभेद तक सब कुछ इस कहानी में है, बस इफरात की अमीरी के चौंधिया देने वाले मुलम्मे के साथ।

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रेटिंग 2.5/5 à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤•: à¤¦à¥€à¤ªà¤¿à¤•à¤¾ शर्मा à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿ: न्यूज़ 18

ढेर सारी अतिश्€à¤¯à¥‹à¤•à¥€à¤¤€à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बाद भी करण जौहर की ये फिल्€à¤® एक एंटरटेनर फिल्€à¤® है, जो दर्शकों को स€à¤¿à¤¨à¥‡à¤®à¤¾à¤˜à¤°à¥‹à¤‚ में लाने का पूरा दम और उन्€à¤¹à¥‡à¤‚ मनोरंजन देने का पूरा मद्दा रखती है. हालांकि इसकी लंबाई थोड़ी ज्€à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है और इसे कसा जा सकता था, सेकंड हाफी में खासकर. मेरी तरफ से इस फिल्€à¤® को 3 स्€à¤Ÿà¤¾à¤°.

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