BHARAT REVIEW IN HINDI

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Bharat Review in Hindi

 

Average Ratings:3.4/5
Score: 100% Positive
Reviews Counted:5
Positive:5
Neutral:0
Negative:0

Ratings:.3.5/5 Review By: à¤‹à¤šà¤¾ मिश्रा Site: Aaj Tak

फिल्म सलमान खान की हो तो सिनेमा के तमाम कायदे सलमान की मौजूदगी के आगे उनके प्रशसंकों को कम नजर आते हैं. वैसे फिल्म की कहानी पर पैनी नजर डालें तो एक शख्स भारत के इर्द-ग€à¤¿à¤°à¥à¤¦ ही सारे किरदार ल€à¤¿à¤–े गए हैं. हालांकि सलमान की पिछली फिल्म रेस 3 की तुलना में भारत की कहानी सुलझी हुई है. इस बार फिल्म में एक्शन जीरो है और इमोशनल ड्रामा भरपूर है. ड्रामा कहीं कहीं बहुत ज्यादा हो गया जो यथार्थ नजर नहीं आता. जैसे सलमान का अरब पहुंचना और फिर माल्टा में दिखना. एक ही आदमी के सर्कस से लेकर नेवी तक का सफर फिल्मी ज्यादा नजर आता है. खैर स्क्र€à¤¿à¤ªà¥à¤Ÿ में एंटरटेनमेंट का फुल मसाला है. और कहानी को भी उसी के लिहाज से बुना गया है. अब सलमान हैं तो सब मुमकिन है. फिल्म में डायलॉग्स अच्छे हैं, कॉमेडी का तड़का भी जबरदस्त है.

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Ratings:.3.5/5 Review By: à¤ªà¤°à¤¾à¤— छापेकर Site: Jagran

भारत की कहानी में हालांकि बहुत कुछ पिरोया गया है लेकिन आजादी के बाद से लगभग 70 साल की यात्रा में बहुत कुछ घटित होता है, जिसे फिल्म में दिखाया गया है। देश के बंटबारे की दर्दनाक यादें, लड़खड़ाते हुए ही सही एक नवोदित देश की अपने पांव पर खड़े रहने की कोशिशें और अंततः आधुनिक भारत का अपने पैरों पर खड़ा होना इन सबको अली अब्बास जफर में खूबसूरती से फिल्म में समेटा है।

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Ratings:.3.5/5 Review By: à¤¦à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤¾ सिंहल Site: Times Now

फिल्म की सिनेमेटोग्राफी कमाल की लग रही थी, वहीं विशाल-शेखर का म्यूजिक आपको बांधे रखता है। भारत को अली अब्बास जफर ने डायरेक्ट किया है। फिल्म में कुछ-कुछ सीन्स को बहुत बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया था। बंटवारे का सीन डायरेक्ट करना काफी मुश्किल था, जिसके बारे में जफर ने बताया भी था। लेकिन जब ये सीन स्क्रीन पर आया तो बहुत अच्छा लग रहा था। ये सीधे दर्शकों के दिल में उतरा। फिल्म में अलग-अलग वक्त को दिखाया गया है। एक वक्त से दूसरे में जाने में डायरेक्टर ने बहुत अच्छा काम किया है। इसे देखकर आपको ऐसा बिल्कुल नहीं लगेगा कि एक सीन के बाद दूसरा सीन एकदम से कैसे आ गया है। फिल्म की बारीकियों पर ध्यान दिया गया है।

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Ratings:.3.5/5 Review By: à¤‰à¤·à¤¾ खोखर Site: ABP News

भारत के पिता पाकिस्तान में स्टेशन मास्टर होते हैं और बंटवारे के बाद अपने परिवार के साथ हिंदोस्तान आ रहे होते हैं. लेकिन अचानक गदर मचता है और भारत के हाथ से उसकी छोटी बहन मधु का हाथ छूट जाता है. भारत को ट्रेन पर बिठाकर अपनी बेटी को ढूंढने के लिए जाते हैं और फिर कभी वापस नहीं आते. भारत अपनी मां और दो छोटे भाई बहनों के साथ हिंदोस्तान पहुंचते हैं और अपनी पुरानी दिल्ली में अपनी बुआ के घर पहुंचते हैं. भारत के पिता ने उसे इस दुकान के बारे में बताया था और वादा किया था कि वो उन्हें वहीं मिलेंगे..लेकिन वो कभी लौट कर नहीं आ पाए. हिंदोस्तान आते ही भारत को एक दोस्त मिलता है विलायती (सुनील ग्रोवर) जो आजादी के लड़ाई में अपना परिवार खो चुका होता है.

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Ratings:.3/5 Review By: à¤°à¥‡à¤–ा खान, Site: Navbharat Times

कहानी में बंटवारे के समय इंडिया-पाकिस्तान के बिछड़े हुए लोगों को मिलाने की पहल और शहरीकरण तथा तरक्की के नाम पर दुकानों को तोड़कर मॉल बनाने का ट्रैक भी है। इसे निर्देशक अली अब्बास जफ़र की समझदारी कहनी होगी कि उन्होंने सालों से बनी हुई भाई की परिवार प्रेमी और हीरोइक इमेज के साथ छेड़-छाड़ करने की कोशिश नहीं की। फिल्म कुछ हिस्सों में बहुत ज्यादा मजेदार है, मगर कई चरित्र और ट्रैक्स होने के कारण बीच-बीच में अपनी पकड़ खो देती है। फिल्म में वर्तमान और अतीत के कई टाइम लीप हैं, जो कहानी के प्रवाह को रोकते हैं, इसके बावजूद इमोशंस की पकड़ छूटने नहीं पाती। फिल्म की लंबाई कम होती तो अच्छा था, मगर जाहिर है 65-70 साल के लंबे दौर को दिखाने के लिए निर्देशक को इतना समय लेना पड़ा है। एडिटिंग और शार्प और कसी हुई हो सकती थी। मार्सिन लास्काविस की सिनेमटॉग्रफी कमाल की है। सभी जानते हैं कि सलमान खान अपने परिवार से बहुत प्यार करते हैं और उनकी निजी जिंदगी का यह पहलू परदे पर उन्हें भारत के किरदार को पुख्ता करने में बहुत ही मददगार साबित हुआ है।

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