GOLD REVIEW IN HINDI

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Gold Review in Hindi

 

Average Ratings:3.2/5
Score: 80% Positive
Reviews Counted:5
Positive:4
Neutral:0
Negative:1

Ratings:2/5 Review By: à¤ªà¤°à¤¾à¤— छापेकर Site:  Dainik Jagran

निर्देशक रीमा कागती का सबसे कमजोर विभाग रहा स्क्रीन प्ले! मध्यांतर के पहले फिल्म बिखरी-बिखरी नज़र आती है! कहीं-कहीं कालखंड का ग़लत प्रयोग भी खटकता है! अगर स्क्रीनप्ले पर और मेहनत की जाती तो फिल्म का अंदाज़ कुछ अलग ही होता। हालांकि मध्यांतर के बाद फिल्म की गति आपको फिल्म में बहा ले जाती है। अभिनय की बात करें तो अक्षय कुमार तपन दा के किरदार में छा जाते हैं! मौनी रॉय का बॉलीवुड डेब्यू सफल रहा! अमित साध भी अपने किरदार में जंचे हैं। कुल मिलाकर गोल्ड एक साधारण फिल्म है और अगर आप अक्षय कुमार के हार्डकोर फैन हैं तो आप फिल्म देख सकते हैं।

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Ratings:3/5 Review By: à¤°à¤µà¤¿ बुले Site:  Amar Ujala

हालांकि उनकी भूमिका कहानी में विशेष उल्लेखनीय नहीं है। निर्देशक ने 1940 का दशक उभारने के लिए सबसे ज्यादा उस वक्त की वेशभूषा की मदद ली। हॉकी के दृश्य सहज हैं और इन्हें भावनाओं के साथ अच्छे ढंग से पिरोया गया है। निर्देशक ने गीत-संगीत की जगह निकालनी परंतु उसका विशेष इस्तेमाल नहीं हो सका। संगीतमय मौके यहां कहानी की मदद नहीं करते और न ही सुनने में प्रभावी हैं। यह कह सकते हैं कि गोल्ड अक्षय कुमार के देशभक्ति ब्रांड वाला ही सिनेमा है। अक्षय और देशभक्ति ब्रांड आपको पसंद है तो फिल्म आपके लिए है।

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Ratings:3.5/5 Review By: Rachit Gupta Site:  Navbharat Times

प्रॉडक्शन डिजाइन और कॉस्ट्यूम ने उस दौर को रीक्रिएट करने में अहम भूमिका निभाई है। सिनेमटॉग्रफी और बैकग्राउंड स्कोर तकनीक और गुणवत्ता के मामले में काफी कमाल के हैं। फिल्म में होने वाले हॉकी मैच थ्रिल बनाए रहते हैं। मैच का अंत जानते हुए भी आप पूरे मैच के दौरान रोमांच महसूस करेंगे और भारतीय टीम के लिए चीयर करेंगे। फिल्म की एडिटिंग कुछ बेहतर हो सकती थी और कहानी में ‘चढ़ गई’ और ‘नैनो ने बांधी’ गाने की जरूरत नहीं थी। इमोशनल एंड पर फिल्म काफी दमदार है क्योंकि कुछ लोग अपने निजी विरोधों को दूर रखकर भारत की जीत के लिए मिलकर प्रयास करते हैं। आजादी के बाद .यह पहला गेम था इसलिए ग्राउंड पर खेल रही भारतीय टीम के लिए पाकिस्तानी टीम भी चीयर करती है।

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Ratings:4.5/5 Review By: Mahendra Gupta  Site:  Aaj Tak

फिल्म की कहानी काफी दमदार है. आजादी के पहले का दौर कैसा है और फिर आजादी के बाद किस तरह खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ता है, यह कहानी बड़े ही उम्दा तरीके से डायरेक्टर रीमा कागती ने दिखाई है. फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि किस तरह से ब्रिटिश टीम के अंतर्गत भारतीय खिलाड़ी हॉकी खेलते हैं और जब भारत आजाद हो जाता है तो भारत के झंडे को लहराते देख अलग ही जज्बा सामने दिखाई देता है. संवाद बैकग्राउंड स्कोर और साथ ही साथ डायरेक्शन कमाल का है. सिनेमेटोग्राफी बढ़िया है और जिस तरह से लोकेशन सेलेक्ट की गई है वह काबिले तारीफ है. फिल्म में कई सारे ऐसे सीन हैं जो आपके दिल में घर कर जाते हैं. जैसे हर एक किरदार की जर्नी और भारत देश के लिए खेलने का जज्बा, कमाल का दिखाया गया है.

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Ratings:3/5 Review By: Medha Chawla Site:  Times Now

वैसे गोल्€à¤¡ देखते हुए आपको कई बार शाहरुख खान की 2007 में आई फ€à¤¿à¤²à¥€à¤® चक दे इंड€à¤¿à¤¯à¤¾ की याद आएगी। कई सीन तो जैसे एकदम वहीं से उठाए लगते हैं, खासतौर पर मैच के ड्रामेटिक पल। यही नहीं फ€à¤¿à¤²à¥€à¤® में आपको दूसरी सफल स्€à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿà¥à¤¸ बेस्€à¤¡ फ€à¤¿à¤²à¥€à¤®à¥‹à¤‚ दंगल और सुल्€à¤¤à¤¾à¤¨ की भी झलक महसूस होगी। ऐसा नहीं है कि इससे फ€à¤¿à¤²à¥€à¤® को खराब कहा जाए लेकिन हां, गोल्€à¤¡ का यूनीक पॉइंट इन दृश्€à¤¯à¥‹à¤‚ ने खत्€à¤® कर द€à¤¿à¤¯à¤¾à¥¤ वैसे रीमा ने इनको कुशलता से उठाया है कि सभी इन बातों पर गोल्€à¤¡ की आलोचना नहीं करेंगे। अक्षय कुमार ने गोल्€à¤¡ के साथ दर्शकों को एक अच्€à¤›à¥€ फ€à¤¿à¤²à¥€à¤® दी है। फ€à¤¿à¤²à¥€à¤® में भारत और अंग्रेजों के बीच संघर्ष के कई सीन आपको हिलाकर रख देंगे और साथ ही देशभक्€à¤¤€à¤¿ की भावना से भी भर देंगे।

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